अभाव किसे कहते हैं?
जिसे बदलना चाहिए पर चढ़ा ही रहता है ऐसे ऊँचे भाव को ,
या पल पल बदलते तुम्हारे स्वभाव को?
ये तो वो दुर्भेद्य किला है
जिसे मेरे शांत पानी से जीवन में तुमने कंकड़ समझ फेका है.
एक आज़ाद चिड़िया थी मैं
नदी ,आकाश,बादल पहाड़ और परिंदे ;
जानते थे मुझे और मैं उन्हें।
उचाईयों से प्यार था मुझे ,
और उन ऊँचे दरख्तों को मुझसे !
मुझे खुली हवा के लिए तरसाया तुमने।
धूप तो सबके पते पर मुफ्त भेजी थी न तुमने ?
उसको छनौटे से छान ,थोड़ी सी रौशनी क्यों भेजी है फिर मुझे?
विधाता कहते हैं लोग तुम्हे ,तुमसा और होगा न कोई महान।
पर समझ नहीं आता की कैसी है तुम्हारी विधि और विधान!
पता नहीं कब ख़त्म होगा मेरी नियति का इन्तेहाँ।
कब बराबर होंगी तुम्हारे हाथों की सारी उँगलियाँ एक समान।
जिसे बदलना चाहिए पर चढ़ा ही रहता है ऐसे ऊँचे भाव को ,
या पल पल बदलते तुम्हारे स्वभाव को?
ये तो वो दुर्भेद्य किला है
जिसे मेरे शांत पानी से जीवन में तुमने कंकड़ समझ फेका है.
एक आज़ाद चिड़िया थी मैं
नदी ,आकाश,बादल पहाड़ और परिंदे ;
जानते थे मुझे और मैं उन्हें।
उचाईयों से प्यार था मुझे ,
और उन ऊँचे दरख्तों को मुझसे !
मुझे खुली हवा के लिए तरसाया तुमने।
धूप तो सबके पते पर मुफ्त भेजी थी न तुमने ?
उसको छनौटे से छान ,थोड़ी सी रौशनी क्यों भेजी है फिर मुझे?
विधाता कहते हैं लोग तुम्हे ,तुमसा और होगा न कोई महान।
पर समझ नहीं आता की कैसी है तुम्हारी विधि और विधान!
पता नहीं कब ख़त्म होगा मेरी नियति का इन्तेहाँ।
कब बराबर होंगी तुम्हारे हाथों की सारी उँगलियाँ एक समान।
1 comment:
mann ki suno mann ki karo,
logon ki parwah kam karo,
Qki jo log parwah karte hain wo tumhe khush dekh ke khush zyada honge
jo nahi karte parwah unki soch unko mubarak, haan beparwaahon ki dakhalandazi agar upar wale ne zabardasti thopi hai to hatayega bhi wahi, sabr to majboori may rakhna hi padega par khud pe yakin rakhne ki zimmedari humari khud ki hai.
Vipakhsh ko kabhi kam naa aanko par itna bhi naa aank lo ki wo bazaar may bik na paaye qki uska mol to tumhare aanklan pe nirbhar hai aur bikaao bhi.
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