- "इतनी परिष्कृत भाषा और स्पष्ठ विचार ,इतनी कम उम्र में ,वाह बिटिया मज़ा आ गया। लिखना और अपनी आवाज़ को शब्द देना कभी मत छोड़ना" ! शाबाश! "
- इस नन्ही कवियत्री ने अपने समय के लोगों के मनोभाव खोल के रख दिए हैं। बहुत बहुत बधाई हो।
- वैचारिक महाविस्फोट की ज़रूरत सचमे है, लेकिन ऐसा हो ही नही पाता। धन्यवाद... आँखें खोलने के लिए...
- सारी बातें सच्ची हैं।
- भाषा शिल्प सिखने लायक है!
एक ही दिन में इतनी सारी बातें.... मन को छू गयीं।
आज से हर दिन, हर पल मुझे ये शब्द हिम्मत देते रहेंगे। :)
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