Saturday, February 21, 2009

प्रशश्ति ....

  • "इतनी परिष्कृत भाषा और स्पष्ठ विचार ,इतनी कम उम्र में ,वाह बिटिया मज़ा आ गया। लिखना और अपनी आवाज़ को शब्द देना कभी मत छोड़ना" ! शाबाश! "
  • इस नन्ही कवियत्री ने अपने समय के लोगों के मनोभाव खोल के रख दिए हैं। बहुत बहुत बधाई हो।
  • वैचारिक महाविस्फोट की ज़रूरत सचमे है, लेकिन ऐसा हो ही नही पाता। धन्यवाद... आँखें खोलने के लिए...
  • सारी बातें सच्ची हैं।
  • भाषा शिल्प सिखने लायक है!

एक ही दिन में इतनी सारी बातें.... मन को छू गयीं।

आज से हर दिन, हर पल मुझे ये शब्द हिम्मत देते रहेंगे। :)

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