दुनिया चलती है, चलती ही जाती है,
लोग आते हैं, चले भी जाते हैं।
लेकिन कुछ रुकता नही है।
क्यों रुके? सब को पूरी इमानदारी बरतनी होती है अपने अपने काम में,
अब अगर रास्ते में किसी का दिल, सपना या नाता टूटा, तो गलती किसकी है?
किसी की नही।
दोष किसी का नही।
कर्तव्य-परायणता एक बहुत अच्छी बात है, लेकिन दुःख इस बात का है की वो पत्थर से भी सख्त है!
3 comments:
सोचे गए कायदों पर है टिका रहना मुश्किल है फिर आपने तो बड़ी सुंदर बात कही
कर्तव्य-परायणता एक बहुत अच्छी बात है, लेकिन दुःख इस बात का है की वो पत्थर से भी सख्त है!
Tum dukhi q ho?!
dosh to kabhi bhi kisika nahin hota..sirf halaat hote hain aur majbooriyan! you have an award waiting for you at my blog! I love your straight from the heart posts!
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