Sunday, November 13, 2011

चुनु छबीले मुन्नू हठीले मखमल की टोपी छोटू रंगीले

लम्बा सफ़र है टेढ़ी डगर है ,
मंजिल है मुश्किल
गिरने का डर है, 
पर न रुकेंगे 
चलते चलेंगे  , 
ये  सारी दुनिया 
अब अपना घर है
हार न मानेंगे ये खिलाड़ी
चक्के पे चक्का 
चक्के पे गाडी   
गाडी मे निकली 
अपनी सवारी! 

बाल दिवस की इतनी ख़ुशी सिर्फ मुझे हो रही है या फिर मेरे जैसे और भी हैं ?
 
 
 

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