Friday, October 2, 2009

हंसो तो थोड़ा.

क्यों बड़ा होना होता है हमें? कभी सोचा है ,क्यों उसी बने बनाये रास्ते पर चलना होता है?
बच्चे से बड़े बनो, ज्ञान के बदले अंहकार, स्वाभिमान के बदले अभिमान क्यों अपनाना होता है?
क्यों नही ज़िन्दगी सीधी लकीर सी होती है? क्यों हमें हर चेहरे के ऊपर लगे अनेक मुखौटों में से सच्चाई को ढूंढ़ना होता है?

कितना अच्छा होता अगर हमें आज भी बारिश में घोंघे के ऊपर से फिसलती बूंदों को देख कर उतनी ही खुशी मिलती,
फूलों के पराग चुन कर लायी तितली को अपनी ऊँगली पर बैठा, नीले-पीले रंग देख के दुनिया भर का कौतुहल होता,
नए कपड़े और धुप चश्मे को लगा सब को दिखाने का, फोटो खिचवाने का मन करता.
झींगुर की पुकार सुन उसके साथ जुगलबंदी करने का मन करता, जुगनू की झिलमिल देख शीशे में कैद करने की ख्वाईश।
अपने ढेर सारे पेंसिल-रबड़, रंगभरी के संकलन को देख के गर्व महसूस होता और हर बार किताब दूकान जा कर और नए लेने की चाहत भी होती.
लकड़ी का तानपुरा किसी को बजाते देख ,विश्वास हो जाता की बस खरीदवाने की देरी है, फ़िर हम भी ऐसी ही धुन बजा लेंगे।
किसी दोस्त के जन्मदिन में देने के लिए सर्वश्रेष्ट तोहफा चाहिए होता , कुछ ऐसा जिसे कभी किसी ने नही देखा हो।
किसी भिखारी के बच्चे को ललचाई दृष्टि से अपने खाने की तरफ़ देखते देख , घृणा नही होती, बल्कि मन करता की उसे दोस्त बना लें और थोडी साफ़ सफाई करवा दें, अपने खिलौने बाँट लें।
गलतियाँ करने और गिरने से डर नही लगता, खतरे और चुनौतियों से कोई तकलीफ नही होती, संभालने के लिए २-४ हाथ जो हमेशा साथ होते।

लेकिन हम बड़े हो गए,
मासूम खुशियों को रौंदते हुए आगे बढ़ गए।
इस दुनिया में जो रहना था।
कड़वी सच्चाई का घूँट जबरदस्ती पीना जो था।
  • मेरे ४ साल के भतीजे "श्रेष्ठ" से प्रेरित , जिसने मुझे फ़िर से "खुश रहना " सिखाया । :D

7 comments:

saket said...

Seriously one word Mind Blowing !!!!!
I salute both the poet as well as her inspiration :)

sujata sengupta said...

wow!! simply wow!!

Shivangi Shaily said...

Thank you bhaiya but this is a piece of 'Prosaic' and not a poem. Recently came to know about this term.

Shivangi Shaily said...

thank you Di! :D

VOICE OF MAINPURI said...

काफी उम्दा लिखा...लिखतें रहें.

Ankit said...

hmmm.. nice one. Whenever I see this program called Little Champs (kids singing), I wonder whether they will be singing as well when they grow up. I wonder so because it is not about the talent, but a lot about attitude. How many of them will be consumed by complacency? How many will continue to be hungry to learn?

wil make u read a poem i wrote some time.. donhave it on the system..

Keep writing :)

Shivangi Shaily said...

:) I'll wait for that poem .