पेड़ोँ को शिकायत है पत्थर नहीँ बदले ,नदियोँ ने उनसे मिलने की कोशिश हज़ार की, खारे ही रहे अब भी समँदर नहीँ बदले !अच्छा है कि कोरे कागज़ पर मेरे अक्षर भी नहीँ बदले।
खो के अपने पर ही तो उसने उड़ना सीखा...
दर्द को अपने संग ले ले, दर्द भी अपने काम आएगा....
अल्लाह के बन्दे हंस दे- जो भी हो कल फिर आएगा!
:)
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:)
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