Tuesday, June 21, 2011

उठती लहरों और कागज़ की किश्ती का कोई भरोसा नहीं ...
पता नहीं कब , कौन, किसे डूबा दे ||



आज दोनों साथ हैं, कल कौन किसे धोखा दे दे ?!

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