कोमल जैसे -
सुबह की ओस
बेपरवाह जैसे -
समंदर का पानी
गीली जैसे -
बारिश की बूँद
मन को भिगोती जैसे-
नानी-दादी की कहानी
हर्षाती जैसे -
सरसों के पीले खेत
मदमाती जैसे-
महुआ के फूल
सहलाती जैसे हो -
माँ का आँचल
डांटना जैसे -
बड़ों की प्यारी सी झिड़की
दुलारना जैसे -
बच्चों की बिना आवाज़ वाली किलकारी
आसूं ही तो हैं
ऐसे आते जाते हैं जैसे सीचने से लबालब भरी हो रंगीन फूलों की क्यारी
कोमल, बेपरवाह, गीली, भिगोती, हर्षाती, मदमाती, सहलाती, डांटती , दुलारती !
ख़ुशी हो या हो दुःख
आँखों से अटूट रिश्ता जोड़े इस कहानी की बात ही है निराली ।
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