फूल वही हैं....ताजे, मदमाते, अपनी सुगंध में सबको सराबोर करते....
कभी मन्दिर में भगवान को अर्पित, उनकी शोभा बढ़ाते...
कभी पीर की दरगाह में लोगों की आस्था जगाते...
कभी दुल्हन के सपने सजाते ,
कभी श्रध्दा के सुमन बन के...
फूल वहीँ हैं....
हमेशा तत्पर ...दुनिया को 'समर्पण' सिखाने के लिए !
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