Monday, May 30, 2011

सब कुछ सिखा हमने ,ना सीखी होशियारी
चाहे कह लो दुनिया वालों,हमको अनाड़ी ||
खुद पर मर मिटने की ये जिद्द थी हमारी
सच है दुनिया वालों की हम हैं अनाड़ी ||

असली नकली चेहरे देखे , दिल पर सौ सौ पहरे देखे
मेरे दुखते दिल से पूछो, क्या क्या ख्वाब सुनहरे देखे|
टूटा जिस तारे पर नज़र थी हमारी!

1 comment:

Arpita said...

ye tumne likha hai?