पेड़ोँ को शिकायत है पत्थर नहीँ बदले ,नदियोँ ने उनसे मिलने की कोशिश हज़ार की, खारे ही रहे अब भी समँदर नहीँ बदले !अच्छा है कि कोरे कागज़ पर मेरे अक्षर भी नहीँ बदले।
ye tumne likha hai?
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